Monday, 8 July 2013

उत्‍तराखण्‍ड में त्रासदी




उत्‍तराखंड में त्रासदी

  • शेर सिंह

उम्र   कट  गई  साधने   में                     

फिर भी नाकाम रहे जानने में ।


                         

हर तरह से लगे रहे रिझाने में

पर नहीं सफल हुए मनाने में



हादसों के मंजर रह गए देखते

वर्षों  लगेगे  अब  भुलाने में



ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि, विवेक रह गए धरे

प्रकृति ने मिनट नहीं लगाया मिटाने में ।



अब  जुटे  रहो  जानने  में

पत्‍थर  से  सिर फोड़ने   में ।



डेम, बिजली, उन्‍नति बह गए पानी में

कहां चूक हुई लगे रहो अब सोचने में ।



सब बरवाद अब व्‍यस्‍त मातम मनाने में

अब तो चेतो योजना बनाने में ।



लाशों पर तेज राजनीति करने में

विकृत बुद्धि वाले लांछन लगाने में ।



अभागे जनों की कीमत भुनाने में

राजनैतिक तरकश से तीर चलाने में ।

  •                    
  •                    शेर सिंह

                                                   के. के.- 100, कविनगर,

        गाजियाबाद - 201 002          (23.06.2013)
 

No comments:

Post a Comment